RFID की कार्यप्रणाली
➤ RFID तकनीक AIDC (Auto Identification Data Collection) के कॉन्सेप्ट पर कार्य करता है। RFID प्रणाली में दो कॉम्पोनेंट होते हैं, RFID टैग और RFID रिसीवर।
➤ RFID टैग के अंदर एक पतली सी इलेक्ट्रॉनिक चिप और ट्रांसमीटर एंटीना लगी होती है, चिप के अंदर इंफॉर्मेशन सेव होती है और ट्रांसमीटर एंटीना RFID रीडर/रिसीवर द्वारा इंफॉर्मेशन रीडिंग के दौरान चिप के डाटा को ट्रांसमिट करने का काम करता है।
➤ जब किसी व्यक्ति या वस्तु को आइडेंटिफिकेशन के लिए RFID तकनीक का उपयोग किया जाता है तो सर्वप्रथम उस वस्तु में RFID टैग लगाकर उससे संबंधित डाटा उसमें Encode कर दिया जाता है।
➤ फिर जहाँ भी उसके बारे में जानकारी प्राप्त करनी होती है तो उस वस्तु को RFID रिसीवर की रेंज में लाया जाता है।
➤ जैसे ही वह वस्तु रिसीवर की रेंज में आती है तो RFID टैग रिसीवर को फीडबैक देना शुरू कर देता है और रिसीवर अपने द्वारा ट्रांसमिट किये गए रेडियो सिग्नल की मदद से उसका सारा डाटा रीड कर लेता है और आवश्यकतानुसार उस वस्तु की पहचान की जाती है।
➤ यदि यूज़ किया गया टैग Active होगा तो उसमें खुद की पावर होगी। पर यदि टैग Passive होगा तो जैसे ही वह RFID रिसीवर की रेंज में आएगा तो वह सबसे पहले रिसीवर के द्वारा ट्रांसमिट किये गए रेडियो फ्रीक्वेंसी से ही अपने लिए पावर जनरेट करेगा फिर चिप के अंदर लगी चिप को एक्टिव करके डाटा ट्रांसमिट करेगा।