नई फास्टैग आधारित पास प्रणाली


  • केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने निजी वाहनो के लिए फास्टैग आधारित पास जारी करने की घोषणा की है ।
  • इस फास्टैग आधारित पास की शुरुआत 15 अगस्त 2025 से होगी तथा इसकी सालाना फीस 3000 रुपये होगी ।
  • यह पास 1 साल या 200 यात्रा (जो भी पहले हो ) के लिए मान्य होगा ।

विशेष तथ्य

  • यह पास केवल निजी वाहनो के लिए वैध होगा, व्यावसायिक वाहनो के लिए इसका प्रयोग करने पर पास को निष्क्रिय किया जाएगा ।
  • फ़ास्टैग पास को राजमार्ग यात्रा ऐप/NHAI की वेबसाइट के माध्यम से सक्रिय किया जा सकेगा ।
  • यह फास्टैग पास केवल राष्ट्रीय राजमार्ग एवं राष्ट्रीय एक्सप्रेस वे पर ही मान्य होगा ।

फास्टैग क्या है?

  • फास्टैग एक ऐसा उपकरण है जो रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग करता है, जिससे वाहन चलते समय सीधे टोल का भुगतान किया जा सकता है। फास्टैग (RFID टैग) वाहन की विंडस्क्रीन पर चिपका होता है और ग्राहक को फास्टैग से जुड़े खाते से सीधे टोल का भुगतान करने में सक्षम बनाता है।

RFID क्या है ?

RFID रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन

  • रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन रेडियो तरंगों आधारित वायरलेस आइडेंटिफिकेशन तकनीक है।
  • इस तकनीक का उपयोग स्वचालित रूप से वस्तु की पहचान या वस्तुओं को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।
  • RFID तकनीक में मुख्य रूप से दो घटक पाए जाते हैं जिसमें से एक है RFID टैग जिससे इनफार्मेशन स्टोर की जाती है और एक RFID रीडर जो उस इनफार्मेशन को पढ़ता है।
RFID टैग
  • यह किसी वस्तु को ट्रैकिंग अथवा पहचान करने हेतु उस पर टैग के रूप में लगाया जाता है।
  • RFID टैग / चिप में उस वस्तु के बारे में संपूर्ण जानकारी निहित हो सकती है।
  • यह RFID रीडर / रिसीवर के संपर्क में आने पर संबंधित जानकारी ट्रांसफर करता है।
RFID टैग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
  1. Active RFID टैग –   इसके पास अपना कार्य करने हेतु आवश्यक डेटा संचारित करने हेतु स्वयं का पावर स्रोत (Electric Supply) होती है तथा यह Self-Dependent होता है।
  2. Passive RFID टैग – इसके पास स्वयं की पावर सप्लाई नहीं होती है तथा यह RFID रीडर से प्राप्त रेडियो वेव्स से उत्पन्न इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन द्वारा प्राप्त पावर करता है, ताकि सूचना को ट्रांसफर किया जा सके।
  • Passive RFID टैग की कीमत Active टैग से कम होती है।
  • RFID टैग / चिप के कार्य करने हेतु एक माइक्रोचिप एंटेना के साथ जुड़ा होता है जो कि डेटा को ट्रांसमिट करने हेतु जिम्मेदार होता है।

RFID की कार्यप्रणाली

➤ RFID तकनीक AIDC (Auto Identification Data Collection) के कॉन्सेप्ट पर कार्य करता है। RFID प्रणाली में दो कॉम्पोनेंट होते हैं, RFID टैग और RFID रिसीवर।

➤ RFID टैग के अंदर एक पतली सी इलेक्ट्रॉनिक चिप और ट्रांसमीटर एंटीना लगी होती है, चिप के अंदर इंफॉर्मेशन सेव होती है और ट्रांसमीटर एंटीना RFID रीडर/रिसीवर द्वारा इंफॉर्मेशन रीडिंग के दौरान चिप के डाटा को ट्रांसमिट करने का काम करता है।

➤ जब किसी व्यक्ति या वस्तु को आइडेंटिफिकेशन के लिए RFID तकनीक का उपयोग किया जाता है तो सर्वप्रथम उस वस्तु में RFID टैग लगाकर उससे संबंधित डाटा उसमें Encode कर दिया जाता है।

➤ फिर जहाँ भी उसके बारे में जानकारी प्राप्त करनी होती है तो उस वस्तु को RFID रिसीवर की रेंज में लाया जाता है।

➤ जैसे ही वह वस्तु रिसीवर की रेंज में आती है तो RFID टैग रिसीवर को फीडबैक देना शुरू कर देता है और रिसीवर अपने द्वारा ट्रांसमिट किये गए रेडियो सिग्नल की मदद से उसका सारा डाटा रीड कर लेता है और आवश्यकतानुसार उस वस्तु की पहचान की जाती है।

➤ यदि यूज़ किया गया टैग Active होगा तो उसमें खुद की पावर होगी। पर यदि टैग Passive होगा तो जैसे ही वह RFID रिसीवर की रेंज में आएगा तो वह सबसे पहले रिसीवर के द्वारा ट्रांसमिट किये गए रेडियो फ्रीक्वेंसी से ही अपने लिए पावर जनरेट करेगा फिर चिप के अंदर लगी चिप को एक्टिव करके डाटा ट्रांसमिट करेगा।

RFID का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों जैसे:-
  • सामान के ट्रैकिंग हेतु
  • पशुओं की निगरानी
  • पुस्तकालयों में बुक ट्रैकिंग
  • लैजिस्टिक्स
  • सुरक्षा प्रणालियों
  • पासपोर्ट
  • स्वास्थ्य देखभाल
  • वाहन ट्रैकिंग
  • इन्वेंटरी कंट्रोल

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