स्वच्छ पौध कार्यक्रम (Clean Plant Programme)
स्वच्छ पौध कार्यक्रम (Clean Plant Programme)
शुरुआत: यह कार्यक्रम कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा एशियाई विकास बैंक के सहयोग से शुरू किया गया है।
उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय बागवानी में रोग-मुक्त पौधों की सामग्री से बदलाव लाना है, जिससे किसानों की उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़े और अंततः वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति मजबूत हो सके।
कार्यान्वयन और कार्यकारी एजेंसी: राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के सहयोग से इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन और निष्पादन कर रहा है।
योजना के तहत प्रस्तावित विकास:
- 9 स्वच्छ पौध केंद्र (Clean Plant Centres) की स्थापना:
देश भर में रोग-मुक्त और अधिक उत्पादक पौध सामग्री सुनिश्चित करने के लिए 9 स्वच्छ पौध केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
स्वच्छ पौध केंद्र |
फल / फसलें |
1. पुणे |
अंगूर |
2. श्रीनगर और मुक्तेश्वर |
शीतोष्ण फल – सेब, बादाम, अखरोट आदि |
3. नागपुर और बीकानेर |
खट्टे फल (Citrus Fruits) |
4. बेंगलुरु |
आम, अमरूद, एवोकैडो |
5. लखनऊ |
आम, अमरूद, लीची |
6. सोलापुर |
अनार |
पूर्वी भारत में उष्णकटिबंधीय/उप-उष्णकटिबंधीय फल |
- आधुनिक नर्सरियों का विकास: बड़ी नर्सरियों के लिए ₹3 करोड़ और मध्यम आकार की नर्सरियों के लिए ₹5 करोड़ की वित्तीय सहायता से आधुनिक नर्सरियां विकसित की जाएंगी। ये नर्सरियां प्रति वर्ष 8 करोड़ रोग-मुक्त पौधे किसानों को उपलब्ध कराएंगी।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन के लिए इजराइल और नीदरलैंड जैसे देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग किया जाएगा।
- राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशाला: पुणे में स्वच्छ पौध कार्यक्रम (CPP) के तहत मूल पौधों की प्रजातियों पर अनुसंधान के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी।
स्रोत से मिट्टी तक: स्वच्छ रोपण सामग्री का उत्पादन
स्वच्छ पौध कार्यक्रम (CPP) के तहत स्वच्छ रोपण सामग्री प्राप्त करने, परीक्षण करने और उसका प्रसार करने की चरण-दर-चरण प्रक्रिया:
- यदि प्राप्त पौध सामग्री का परीक्षण रोगजनकों के लिए नकारात्मक आता है:
- इसका पुनः परीक्षण किया जाता है और फिर इसका उपयोग रोग-मुक्त मातृ पौधों (mother plants) के उत्पादन और रखरखाव के लिए किया जाता है। ये पौधे स्वच्छ रोपण सामग्री प्रदान करते हैं, जिसे मान्यता प्राप्त नर्सरियों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाया जाता है।
- यदिसामग्री का परीक्षण सकारात्मक आता है:
- तो वायरस को खत्म करने के लिए ऊतक संवर्धन (tissue culture), ऊष्मा (heat) या क्रायो-थेरेपी (cryo-therapy) जैसी चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग किया जाता है, उसके बाद रोगमुक्त पौध सामग्री के लिए पौध प्रसार किया जाता है।
मुख्य लाभ:
- किसानों के लिए: वायरस-मुक्त और उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री तक पहुंच।
- उपभोक्ताओं के लिए: अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों के माध्यम से लाभ।
- नर्सरियों के लिए: प्रमाणन प्रक्रियाएं और बुनियादी ढांचे का समर्थन।
- निर्यात के लिए: एक प्रमुख वैश्विक निर्यातक के रूप में भारत की स्थिति मजबूत करना।
- समानता और समावेशिता:
- भूमि-जोत के आकार या सामाजिक-आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना सभी किसानों के लिए सस्ती कीमत पर स्वच्छ पौध सामग्री सुनिश्चित करना।
- महिला किसानों को संसाधन, प्रशिक्षण और निर्णय लेने के अवसर प्रदान करके योजना और कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से शामिल करना।
- भारत की विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियों को संबोधित करने के लिए क्षेत्र-विशेष की स्वच्छ पौध किस्मों और तकनीकों का विकास करना।