ईरान-इजराइल संघर्ष


संदर्भ – ईरान और इजराइल के बीच 12 दिन तक चले संघर्ष के बाद युद्ध विराम लागू हो गया है ।

•इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्धविराम को मंज़ूरी दी तथा ईरान के सरकारी मीडिया ने भी युद्धविराम की जानकारी दी ।
•इस युद्ध विराम के लिए अमेरिका ने इजराइल तथा कतर में ईरान को राजी किया ।


इजराइल-ईरान संबंधों का इतिहास

  • 1979 से पहले ईरान और इजराइल के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध थे, ईरान दूसरा मुस्लिम देश था जिसने इजराइल को मान्यता प्रदान की थी ।
  • 1979 से पहले ईरान में राजतंत्र था, तथा उसका प्रमुख शाह रजा पहलवी था ।
  • शाह रजा पहलवी का झुकाव पश्चिमी देशों की उदारवादी विचारधारा की तरफ़ था ।
  • उसने ईरान में बुर्के पर प्रतिबंध लगाया तथा भूमि सुधारो को लागू करने का प्रयास किया ।
  • ईरान में उपस्थित कट्टरवादी समूह के लोगो में इसके प्रति असंतोष उत्पन्न हुआ तथा उन्होंने अयातुल्लाह रोहेला ख़ोमेन्नेई के नेतृत्व में विरोध करना प्रारम्भ किया
  • जनवरी 1979 में ईरान में एक बड़ी क्रांति हुई तथा शाह रजा पहलवी को ईरान छोड़ना पड़ा ।
  • ईरान का राजतंत्र अब एक धार्मिक शासन में परिवर्तित हो गया ।
  • खोमेन्नेई ने मुस्लिम देशों के ईरान के प्रभुत्व पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से अमेरिका और इजराइल का विरोध करना शुरू कर दिया तथा फ़िलिस्तीन को समर्थन दिया ।
  • 1990 में ईरान ने अपना परमाणु कार्यक्रम शुरू किया तथा यही से इजराइल- ईरान संघर्ष की शुरुआत हुई ।
  • ईरान ने इजराइल के विरुद्ध हमास(फिलिस्तीन),हिजबुल्लाह (लेबनान)एवं हुती जैसे संगठनों का समर्थन किया तथा इसे एक्सिस ऑफ़ रेजिस्टेंस कहा । जबकि इजराइल ने इसे एक्सिस ऑफ़ टेररिज्म बताया ।
  • इजराइल में सीरिया में ईरानी ठिकानों पर हमला किया तथा ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या कर दी ।
  • अप्रैल 2024 में इजराइल ने ईरानी दूतावास पर हमला किया, जिसमें ईरानी अधिकारी मारे गए। इसके जवाब में ईरान ने इजराइल पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए।
  •  जून 2025 में इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों और रिवोल्यूशनरी गार्ड मुख्यालय पर हमले किए। जवाब में ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस लांच किया और इजराइल एवं कतर में अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइलें दागीं।

इजराइल- ईरान संघर्ष के प्रभाव

(1) परमाणु ठिकानों पर हमले के कारण न्यूक्लियर लीकेज का खतरा
(2) दोनों देशों में जान माल की हानि

भारत पर प्रभाव

(1) इस संघर्ष के कारण स्ट्रेट ऑफ़ हरमौज़ के अवरुद्ध होने का खतरा है जिसके कारण कच्चे तेल की क़ीमतों में वृद्धि होगी ।
(2) ईरान और इजराइल , दोनों ही देशों में बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक निवास करते है ।
(3) भारत के दोनों ही देशों के साथ अच्छे संबंध है ।
(4) ईरान , भारत की मध्य एशिया एवं यूरेशिया के साथ कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है तथा भारत, ईरान में चाबहार पोर्ट का निर्माण भी कर रहा है ।
(5) इजराइल, भारत का समर्थक देश है तथा भारत के इजराइल के साथ तकनीकी , व्यापारिक एवं सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण संबंध है ।

पाठ्यक्रम से संबंध
(1) यूपीएससी सीएसई मुख्य परीक्षा द्वितीय प्रश्नपत्र से संबंधित
(2) आरएएस मुख्य परीक्षा तृतीय प्रश्नपत्र से संबंधित

SOURCE
Dainik Bhaskar + SBA content

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