संदर्भ – भारतीय डाक विभाग ने पारंपरिक पते को डिजिटल रूप देने के लिए डिजिटल एड्रेस सिस्टम की शुरुआत की है ।
•इस नई प्रणाली के तहत हर लोकेशन को एक 10 अंकों के यूनिक कोड से दर्शाया जाएगा जिसे डिजिपिन कहते है ।
डिजिपिन क्या है?
•डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर
•इसका विकास भारतीय डाक विभाग, IIT हैदराबाद और ISRO के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने मिलकर किया है ।
•यह 10 अंकों का यूनिक अल्फा-न्यूमेरिक कोड है जो भारत के हर 4*4 मीटर क्षेत्र को विशिष्ट पहचान प्रदान करता है ।
•डिजिपिन का उद्देश्य हर स्थान के लिए एक सटीक डिजिटल पता उपलब्ध करवाना है ।
Digipin एवं Pincode में अंतर
•पारंपरिक पिनकोड जहाँ किसी एक बड़े क्षेत्र के लिए होता वही डिजिपिन 4*4 मीटर के छोटे क्षेत्र के लिए होता है , अतः डिजिपिन किसी स्थान की लोकेशन को अधिक सटीकता के साथ दर्शाता है ।
Digipin एवं पारंपरिक पता
•डिजिपिन पारंपरिक पते का स्थान नहीं लेगा बल्कि यह उसका डिजिटल पूरक है ।
•पारंपरिक पता शब्दों (गली,मोहल्ला,मकान नंबर)पर आधारित होता है जबकि डिजिपिन , जियोस्पेशल कॉर्डिनेट्स पर आधारित होता है ।
लाभ
(1)डिजिपिन ई-गवर्नेंस के लिए एक क्रांतिकारी कदम है , यह सरकारी सेवाओं की समयबद्ध डिलीवरी में सहायक होगा ।
(2)ई-कॉमर्स उद्योगों की प्रोडक्ट डिलीवरी सटीक होगी
(3) बेहतर आपदा प्रबंधन में सहायक
(4) यह किसी भी व्यक्तिगत जानकारी से जुड़ा नहीं होता है , अतः यह पूरी तरह सुरक्षित एवं गोपनीय है ।