पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर भारत के 2 स्थलों को रामसर स्थलों की सूची में सम्मिलित किया गया है. 1.खीचन, फलौदी (राजस्थान) 2.मेनार, उदयपुर (राजस्थान)
भारत में अब रामसर स्थलों की कुल संख्या 91 हो गई है।
राजस्थान में अब रामसर स्थलों की कुल संख्या 4 हो गई है।
पूर्व में 1. केवलादेव राष्ट्रीय पार्क, भरतपुर (1981) 2. सांभर झील, जयपुर (1990) रामसर स्थलों के रूप में घोषित किए जा चुके हैं।
रामसर स्थल क्या है?
रामसर अभिसमय (2 फरवरी 1971), जो कि ईरान के रामसर शहर में आयोजित किया गया था, के अनुसार नमभूमियों के संरक्षण हेतु इन्हें रामसर स्थलों के रूप में घोषित किया जाता है।
प्रतिवर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है।
सचिवालय – ग्लैंड (स्विट्जरलैंड)
भारत 1 फरवरी 1982 को रामसर समझौते का हस्ताक्षरकर्ता बना था।
भारत का पहला रामसर स्थल चिल्का झील (ओडिशा) को घोषित किया गया था।
आर्द्रभूमि क्या है?
आर्द्रभूमि/नमभूमि क्षेत्र जलीय तथा स्थलीय प्राकृतिक आवासों के मध्य संक्रमण क्षेत्र होते हैं, जो स्थायी अथवा अस्थायी रूप से जल संतृप्त रहते हैं।
आर्द्रभूमियों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
इन क्षेत्रों में जल तथा पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण यहां अनेक प्रजातियां विकसित हो सकती हैं।
नमभूमि क्षेत्रों में मैंग्रोव वनस्पति पाई जाती है. जिनमें विशेष प्रकार की जड़ें (जिन्हें न्यूमेटोफोर कहा जाता है) पाई जाती हैं।
नमभूमि क्षेत्र पक्षियों हेतु विशेष रूप से अनुकूलित होते हैं तथा प्रवासी पक्षियों को शरणस्थली के रूप में जाने जाते हैं।
नमभूमि क्षेत्रों को पृथ्वी की किडनी कहते हैं क्योंकि यह प्रदूषकों को अवशोषित करते हैं।
मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड क्या है?
प्रदूषण व मानवीय गतिविधियों के कारण जिन रामसर स्थलों की गुणवत्ता में कमी आती है, उन्हें मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड में शामिल किया जाता है।
वर्तमान में मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड में शामिल भारतीय स्थल: 1. केवलादेव राष्ट्रीय पार्क (राजस्थान) 2. लोकटक झील (मणिपुर)।
चिल्का झील (ओडिशा) को मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड से 2002 में बाहर कर दिया गया है।