माधोपुर बैराज के गेट क्यों टूटे
माधोपुर बैराज के गेट क्यों टूटे
खबरों में क्यों:
जम्मू और कश्मीर तथा पंजाब में भारी वर्षा के बाद रावी नदी पर स्थित माधोपुर बैराज के दो गेट ढह गए, जिससे रावी नहर प्रणाली निष्क्रिय हो गई और पठानकोट, गुरदासपुर और अमृतसर में बड़े पैमाने पर बाढ़ आ गई।
प्रमुख बिंदु:
- मूलतः 19वीं शताब्दी में निर्मित और 1959 में पुनर्निर्मित यह बैराज, रणजीत सागर बांध से 21 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद ढह गया।
- द्वारों (Gates) का उपयोग बहुत कम किया जाता है, मुख्य रूप से केवल बाढ़ के दौरान, जिसके कारण उनमें जंग लगना, जाम होना और क्षरण होना आम है।
- सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभागों के बीच खराब समन्वय ने संकट को और बढ़ा दिया।
- इसी तरह की क्षति 2023 में हुसैनीवाला हेडवर्क्स (फिरोजपुर) में भी गाद और पुराने हो जाने के कारण हुई थी।
चुनौतियाँ / मुद्दे :
- पुराना बुनियादी ढाँचा: खराब रखरखाव, जंग, दरारें और नियमित रखरखाव की कमी से बैराज के द्वार कमजोर हो जाते हैं।
- अत्यधिक मौसमी घटनाएँ: तीव्र वर्षा के कारण दबाव में अचानक वृद्धि होती है, जो बैराज की डिज़ाइंड सीमाओं को पार कर जाता है।
- प्रशासनिक चूक: द्वार खोलने में देरी और विभागों के बीच खराब समन्वय बाढ़ के जोखिम को बढ़ाता है।
संभावित प्रश्न:
प्र) हाल ही में जिस माधोपुर बैराज में संरचनात्मक विफलता देखी गई, वह किस नदी से संबंधित है?
- सतलुज
- रावी
- चेनाब
- ब्यास
उत्तर: 2