निजी संपत्ति अधिग्रहण पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय


सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने अपने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि “सभी निजी संपत्तियां समुदाय के भौतिक संसाधनों का हिस्सा नहीं बन सकती और सार्वजनिक हित के आधार पर राज्य निजी संपत्तियों का अधिग्रहण नहीं कर सकता हालांकि सरकार जनहित के लिए उन संसाधनों पर दावा कर सकती है जो भौतिक हैं और समुदाय के पास है
प्रॉपर्टी ऑनर्स एसोसिएशन महाराष्ट्र और 16 अन्य द्वारा 1992 में दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाय चंद्रचूड़ सहित 9 सदस्यीय संविधान पीठ ने यह निर्णय दिया
संविधान पीठ ने अपने 7:2 वाले बहुमत के निर्णय में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के आधार पर राज्य निजी संपत्तियों का अधिग्रहण नहीं कर सकता
निजी संपत्ति अधिग्रहण पर संविधान पीठ ने 1978 में जस्टिस कृष्णा अय्यर के उस निर्णय को पलट दिया जिसमें यह प्रावधान दिया गया था कि जनहित के आधार पर राज्य निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर सकती है

*अनुच्छेद 39(बी) : समुदाय के भौतिक संसाधनों के स्वामित्व पर नियंत्रण को जनता की भलाई को ध्यान में रखते हुए वितरित करने की दिशा में नीति निर्धारित करना राज्य का कर्तव्य है

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