प्रधानमंत्री की जापान यात्रा
प्रधानमंत्री की जापान यात्रा
चर्चा में क्यों :
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 29 अगस्त 2025 को 2 दिवसीय दौरे के के लिए जापान पहुंचे । प्रधानमंत्री ने 15 वे भारत-जापान वार्षिक सम्मेलन में भाग लिया । इस सम्मेलन में दोनों देशों के बीच रणनीतिक एवं आर्थिक साझेदारी को सुदृढ़ करने पर सहमति बनी ।
प्रधानमंत्री की जापान यात्रा के परिणाम
- अगले दशक के लिए भारत-जापान संयुक्त दृष्टिकोण : जिसके तहत आर्थिक साझेदारी, आर्थिक सुरक्षा, गतिशीलता, टिकाऊ पारिस्थितिकी, प्रौद्योगिकी और नवाचार, स्वास्थ्य, लोगों के बीच आपसी संपर्क और दोनो देशों के बीच आपसी संपर्क जैसे 8 क्षेत्रों में आर्थिक एवं कार्यात्मक सहयोग के लिए 10 वर्षीय रणनीति बनायी जाएगी ।
- भारत-जापान मानव संसाधन आदान-प्रदान हेतु कार्य योजना :
- अगले पाँच वर्षों मे भारत और जापान के बीच5 लाख लोगों, विशेषकर भारत से जापान के लिए 50,000 कुशल और अर्ध-कुशल कर्मियों के आपसी आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए ।
- संयुक्त चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन के संबंध में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के बीच कार्यान्वयन व्यवस्था तैयार करना। इसके तहत चंद्रयान-5 मिशन पर नियम और शर्तें निर्धारित करने वाला एक दस्तावेज़ तैयार किया जायेगा
- विकेंद्रीकृत घरेलू अपशिष्ट जल प्रबंधन पर समझौता ज्ञापन :
- अपशिष्ट जल के प्रभावी पुन: उपयोग और विकेन्द्रीकृत अपशिष्ट जल प्रबंधन में सहयोग को प्रोत्साहन देने हेतु समझौता
- संयुक्त ऋण व्यवस्था पर सहयोग ज्ञापन :
- कार्बन–मुक्त प्रौद्योगिकियों, उत्पादों, प्रणालियों और बुनियादी ढाँचे के प्रसार को सुगम बनाने हेतु
- भारत–जापान डिजिटल साझेदारी0 पर समझौता ज्ञापन :
- भविष्य के तकनीकी क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास में द्विपक्षीय सहयोग जैसे- डिजिटल आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस(एआई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और सेमीकंडक्टर आदि
- खनिज संसाधनों के क्षेत्र में सहयोग ज्ञापन: महत्वपूर्ण खनिजों के लिए आपूर्ति श्रृंखला के अनुकूलन में सहयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में
- प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों का विकास
- अन्वेषण और खनन के लिए संयुक्त निवेश
- महत्वपूर्ण खनिजों के भंडारण के प्रयास
- स्वच्छ हाइड्रोजन और अमोनिया पर संयुक्त कार्य प्रणाली की घोषणा :
- हाइड्रोजन/अमोनिया पर परियोजनाओं के अनुसंधान, निवेश और कार्यान्वयन को प्रोत्साहन
- विकासशील प्रौद्योगिकियों के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान और नवाचार पर सहयोग
- पर्यावरण सहयोग के क्षेत्र में सहयोग ज्ञापन :
- प्रदूषण नियंत्रण, जलवायु परिवर्तन, अपशिष्ट प्रबंधन, जैव विविधता का सतत उपयोग और पर्यावरण प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में सहयोग
- सुषमा स्वराज विदेश सेवा संस्थान और जापान के विदेश मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन : विदेश नीति के क्षेत्र में आपसी समझ को प्रोत्साहन हेतु
- भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और जापान के शिक्षा, संस्कृति, खेल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईएक्सटी) के बीच संयुक्त आशय पत्र की घोषणा : दोनों देशों के अनुसंधान एवं वैज्ञानिक संस्थानों के बीच संस्थागत सहयोग को मजबूत करने हेतु
- सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा
- सांस्कृतिक आदान–प्रदान पर सहयोग ज्ञापन
अन्य महत्वपूर्ण परिणाम :
- अगले दशक के लिए जापान से भारत में 10 ट्रिलियन जापानी येन का निजी निवेश का लक्ष्य।
- भारत–जापान एआई पहल का शुभारंभ
- रणनीतिक क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखला के अनुकूलन को प्रोत्साहन देने के लिए आर्थिक सुरक्षा पहल शुरूआत : सेमीकंडक्टर, स्वच्छ ऊर्जा, दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स, महत्वपूर्ण खनिजों के साथ-साथ नई और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में
- नेक्स्ट–जनरल मोबिलिटी पार्टनरशिप का शुभारंभ : रेलवे, विमानन, सड़क, शिपिंग और बंदरगाहों आदि क्षेत्रों में G2G और B2B साझेदारी को बढ़ावा देना
- भारत–जापान लघु और मध्यम उद्यम मंच का शुभारंभ
- टिकाऊ ईंधन पहल का शुभारंभ : ऊर्जा सुरक्षा, किसानों की आजीविका को बढ़ावा देने और बायोगैस एवं जैव ईंधन जैसे टिकाऊ ईंधनों से संबंधित प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहन
- भारत और कंसाई तथा क्यूशू के दो क्षेत्रों के बीच व्यावसायिक मंचों की स्थापना : व्यापार, लोगों के बीच आपसी संपर्क और सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत करने के लिए