परिचय :- निसार, नासा एवं इसरो की संयुक्त परियोजना है जिसके तहत विश्व के अब तक के सबसे शक्तिशाली तथा महंगे अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट को 30 जुलाई 2025 को सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया है।
प्रमुख उद्देश्य –
पृथ्वी की सतह और ग्लेशियर में होने वाले बदलावों, पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र और समुद्री क्षेत्रों का अध्ययन करना ।
पृथ्वी के सतह पर, भूकंप, ज्वालामुखी और भू-स्खलन के कारण होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करना ।
ग्लेशियर के मूवमेंट का अध्ययन करना
कृषि योजना और खाद्य सुरक्षा के लिए फसल क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों पर नजर रखना।
पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र में जलवायु परिवर्तनों की निगरानी करना।
विशेषताएं –
डुअल बैंड रडार : NISAR पहला अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है जो डुअल फ्रिक्वेंसी SAR सिस्टम का उपयोग करता है ISRO द्वारा S-बैंड (ध्रुवीय क्षेत्रों में मृदा नमी का अध्ययन) और NASA द्वारा L-बैंड (भूदृश्य टोपोग्राफी और घने जंगलों का अध्ययन) ।
SweepSAR तकनीक : यह तकनीक उच्च रिज़ॉल्यूशन के साथ सतह की विस्तृत इमेज कैप्चर करने में मदद करती है।
इंटरफेरोमेट्रिक क्षमता: यह सतह की मिलिमीटर स्तर की सटीकता के साथ माप कर सकता है।
हर मौसम में कार्य-सक्षम यह 24×7 कार्य करता है और बादल, कोहरा व वनस्पति को भेद सकता है।
कक्षा : इसे 747 किमी की ऊंचाई पर सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया गया है और 97 मिनट में एक परिक्रमा पूरी करेगा।
झुकाव (Inclination) : इसकी कक्षीय झुकाव 4 डिग्री है।
प्रक्षेपण यान इसे GSLV मार्क-II (GSLV-F16) द्वारा लॉन्च किया गया।
वैश्विक कवरेज यह उपग्रह पूरे ग्लोब को स्कैन करेगा और हर 12 दिन में डेटा प्रदान करेगा।
मुफ्त डेटा नीति: इसका डेटा सभी के लिए निःशुल्क उपलब्ध होगा।
अनुप्रयोग-:
जलवायु विज्ञान : बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों की गति का डेटा एकत्र कर वैज्ञानिकों को बर्फ पिघलने के पैटर्न और समुद्र स्तर में वृद्धि को समझने में सहायता करेगा।
पर्यावरण निगरानी : यह ध्रुवों पर समुद्री बर्फ में हो रहे परिवर्तनों का अवलोकन करेगा ताकि वैश्विक पर्यावरण पैटर्न को समझा जा सके।
भूविज्ञान : यह टेक्टोनिक प्लेट्स की गति और भूकंप व ज्वालामुखी के कारण सतह में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करेगा।
आपदा प्रबंधन : भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन, बाढ़ और समुद्र स्तर में वृद्धि जैसे जोखिमों के लिए डेटा प्रदान कर आपदा की पूर्व चेतावनी दे सकेगा।
जैव विविधता संरक्षण: यह पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र और वन व आर्द्रभूमि में होने वाले परिवर्तनों की निगरानी में मदद करेगा।
महत्त्व -:
NISAR इसरो की तकनीकी क्षमताओं और वैश्विक प्रतिष्ठा को दर्शाता है।
यह भारत-अमेरिका संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेगा।
इसकी मुफ्त डेटा नीति वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करेगी।
यह पृथ्वी की गतिशीलता, जलवायु विज्ञान और सतत विकास में योगदान देगा
निष्कर्ष – NISAR पृथ्वी को बेहतर समझने में मदद करेगा। यह जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों के बारे में ठोस जानकारी प्रदान करेगा जिससे वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को प्रकृति और लोगों की रक्षा के लिए बेहतर निर्णय लेने में सहायता मिलेगी। यह मिशन यह भी दर्शाता है कि भारत और अमेरिका मिलकर पूरी दुनिया के हित में कैसे कार्य कर सकते हैं। अपनी उन्नत तकनीक और मुफ्त डेटा नीति के साथ, NISAR सतत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।