देश के दस शीर्ष कृषि वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सरसों की एक किस्म ‘धारा सरसों हाइब्रिड-11′ (डीएमएच-11) पर लगी रोक को हटाने की मांग की है। इनमें तीन पद्मभूषण और दो पद्मश्री से सम्मानित वैज्ञानिक शामिल हैं।
इस किस्म को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2022 में अनुमति दी थी परन्तु सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका के चलते इसके परीक्षणों पर रोक लग गई है ।
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने 23 जुलाई 2024 को विभाजित निर्णय दिया। एक ने केंद्रीय अनुमोदन को खारिज किया, जबकि दूसरे ने सख्त शर्तों के साथ परीक्षण जारी रखने की अनुमति दी। अदालत ने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय नीति बनाने के निर्देश दिए और मामला बड़ी पीठ को सौंप दिया। तब से सुनवाई लंबित है।
विशेषताएं :
इसे दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है.
इसे भारतीय किस्म ‘वरुणा‘ और यूरोपियन किस्म ‘अर्ली हीरा-2′ के संकरण से विकसित किया गया है।
यह हर्बिसाइड टॉलरेट सरसों का आनुवांशिक रूप से संशोधित संस्करण है।
इसमें दो विदेशी जीन (बार्नेज और बारस्टार) शामिल हैं, जो संकर सरसों प्रजातियों के प्रजनन को सक्षम बनाते हैं।
इस किस्म से सरसों की उपज पारंपरिक किस्मों के मुकाबले 28 से 30 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं ।