पुडुचेरी ने मातृ मृत्यु दर शून्य हासिल की


पुडुचेरी ने मातृ मृत्यु दर शून्य हासिल की


चर्चा में क्यों :

  • पुडुचेरी भारत का पहला केन्द्र शासित प्रदेश बन गया है जिसने मातृ मृत्यु दर को शून्य पर ला दिया है।

मातृ मृत्यु दर के बारे में :

  • गर्भावस्था के दौरान या गर्भपात के 42 दिनों के भीतर गर्भावस्था से सम्बधित कारणों से महिला की मृत्यु को मातृ मृत्यु के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) : एक निश्चित समय अवधि के दौरान प्रति100,000 जीवित बच्चों जन्म पर मातृ मृत्यु की संख्या।
  • भारत का MMR-130 (2014-16) से घटकर 93 (2019-21) हो गया।
  • सतत विकास लक्ष्य 2030 : MMR को प्रति 1 लाख जीवित जन्मों पर 70 तक कम करना।

 

भारत में रुझान और प्रगति :

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मातृ एवं नवजात शिशु टिटनेस उन्मूलन (2015) प्रमाणित ।
  • एसआरएस2021 रिपोर्ट के अनुसार, आठ (8) राज्य पहले ही एमएमआर (2030 तक <=70) का एसडीजी लक्ष्य प्राप्त कर चुके हैं: केरल (20), महाराष्ट्र (38), तेलंगाना (45), आंध्र प्रदेश (46), तमिलनाडु (49), झारखंड (51), गुजरात (53), कर्नाटक (63)।
  • संस्थागत जन्म : 79% (2015-16) से बढ़कर – 89% (2019-21) हो गया।  केरल, गोवा, लक्षद्वीप, पुडुचेरी और तमिलनाडु में 100% हैं
  • ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगभग87% प्रसव संस्थागत होते हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में 94% प्रसव संस्थागत होते हैं।

 

भारत में MMR को लेकर गम्भीर चुनौतियाँ है-

  • स्वास्थ्य सेवाओं तक असमान पहुँच ।
  • कुपोषण और एनीमिया ।
  • स्वास्थ्य अवसंरचना की कमी ।
  • सामाजिक – आर्थिक असमानताएँ ।
  • कम उम्र में विवाह और मातृत्व ।
  • जनजागरूकता की कमी ।
  • जनसंख्या दबाब ।
  • गुणवत्तापूर्ण देखभाल की समस्या ।

 

मातृ मृत्यु दर को कम करने हेतु सरकारी प्रयास :

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (2005)
  • मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को विशेष प्राथमिकता
  • ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य दांचें को मजबूती ,
  • जननी सुरक्षा योजना (2005) : संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन ।
  • जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (2011)
  • गर्भवती महिला को निःशुल्क प्रसव सेवा, दवाईयाँ तथा जांच सुविधा
  • नवजात शिशु के लिए मुफ्त इलाज।
  • सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) (2019)
  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए)
  • PM मातृ वंदना योजना (2017) – गर्भवती महिलाओं को पहली संतान पर 5,000 की सहायता राशि प्रदान की जाती है, मिशन शक्ति के तहत, बालिकाओं के प्रति सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए लाभार्थियों को दूसरे बच्चे के लिए 6000 रुपये का मातृत्व लाभ भी प्रदान किया जाता है, बशर्ते कि दूसरा बच्चा लड़की हो।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) : 2030 तक MMR को 100 से कम करने का लक्ष्य ।

 

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न  : निम्नलिखित में से किस राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश ने 100% संस्थागत प्रसव का लक्ष्य हासिल किया ?

(A) पुडुचेरी, केरल, तमिलनाडु

(B) गोवा, लक्षद्वीप, पुडुचेरी

(c) केरल, गोवा, लक्षद्वीप, पुडुचेरी

(D) गुजरात, महाराष्ट्र, तेलगांना

Ans : (C)

 

मुख्य परीक्षा प्रश्नः – भारत में मातृ मृत्युदर को कम करने  के लिए किये गए प्रयासों तथा इनके समक्ष उपस्थित चुनौतियों पर चर्चा करें ?

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